खुसूर-फुसूर निती नियम और आनलाईन के मजे

खुसूर-फुसूर

निती नियम और आनलाईन के मजे

तबादला शब्द किसी भी कर्मचारी को डराने के लिए काफी होता है। इसमें भी अलग-अलग डिग्री के तबादला शब्द हैं जो जिलों के नाम से लेकर डराने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जैसे झाबुआ,अलीराजपुर उससे भी अधिक डरावना शब्द है बालाघाट । इन शब्दों का उपयोग इन दिनों काफी हो रहा है। आनलाईन निती नियम के बाद भी इन डरावने शब्दों का उपयोग किया जा रहा है तो तय है कि निती नियम और आनलाईन के मजे अय्यार मारने में लगे हैं और सरकारी कर्मचारियों को इन डरावने शब्दों के साथ ही नई डरावनी तबादला डिक्शनरी के शब्दों से डराकर अपना उल्लू साधा जा रहा है और मौसम में हरी पुरवाई चलावाई जा रही है। एक मामले में तो प्रदेश के एक विपक्षी माननीय ने ही अपने अय्यार को ऐसे एक मामले में दबोचा उसके बाद यह कहना कठिन नहीं है कि आनलाईन हो या आफलाईन तबादला शब्द और उसके शब्दकोष में डरावने शब्दों का इस्तेमाल जोरदार तरीके से हो रहा है। खुसूर-फुसूर है कि कर्मचारियों की कमी के कारण प्रदेश भर में संतुलन बनाने के लिए इस व्यवस्था को एक माह के लिए लागू किया जाता है। इसमें कुछ दिन अभी बढा दिए गए हैं। दो से तीन दशक पूर्व ऐसा नहीं होता था तब पूरे साल भर ही तबादला नाम की डिक्शनरी खुली रहती थी और उस समय कमजोर डराने से कर्मचारी मान जाया करता था। अब कतिपय कर्मचारी भी सीधे जैक लगाने में माहिर है और उसके बाद की संस्कृति से भी वाकिफ है।

 

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